Tuesday, January 8, 2013

सारा देश काम शास्त्र का पुनर्पाठ कर रहा है !



संघ के भागवतजी, विवाह को सौदा बता रहे है, कैलाश विजयवर्गीय तमाम सीताओं को लक्ष्मण रेखा की याद दिला रहे है, आसाराम बापू बलात्कार से बचने के आध्यात्मिक नुस्खे बता रहे है, राज ठाकरे बिहारियों को रेपिस्ट बता रहे है, कांग्रेस की जिला कोर्डिनेशन कमेटी के असमिया नेता औरतों के हाथ की मार खा रहे है, राजस्थान कांग्रेस के दो विधायक दलित स्त्री भंवरी देवी के यौनशोषण व हत्या के मामले में जेल में सड़ रहे है, अभिषेक मनु सिंघवी के सेक्स विडियो बाजार में अभी तक उपलब्ध है, हरियाणा का काण्डा हो अथवा हरियाणवी दलित स्त्रियों के रेपिस्ट तथाकथित ऊंची बिरादरी के लोग, कहीं औरत सताई जा रही है तो कहीं यौनशोषित, फिर भी उन्हीं को मर्यादित रहने की सलाहें, पूरे कपड़े पहनने की नसीहतें, कथित बापू, बाबा, धर्म पुरूष सामूहिक रूप से गंदी और बेहूदी टिप्पणीयां कर रहे है, ऐसा लगता है कि यह देश कामशास्त्र का पुर्नपाठ कर रहा है। ब्रह्मचर्य की बातें, संयम की सीखें देने वाला पाखण्डी समाज, भोग की पराकाष्ठा पर पहुंच गया है, नारी को कथित रूप से पूजने वाला हमारा निकृष्ट समाज नारी को या तो देह ही मान रहा है अथवा देवी लेकिन उसे इंसान के रूप में इज्जत, गरिमा और सुरक्षा देने का सहज मानवीय अधिकार देने तक से परहेज करता है, बेहतर हो कि भारतीय पुरूष नारी के मामलों पर किसी भी प्रकार की टिप्पणी करने से बचे तथा अपनी अपनी विकृतियों का ईलाज करवायें वर्ना उनका पुरूषत्व तो खतरे में ही है। 

3 comments:

  1. Ek oar to poora desh aur desh ka media Gandrape ki Ghatna se aahat hai aur virodh pradarshnon se surkhiyan bhari padi hain vahin dusri oar newspapers ke panne contraceptives & shaktiwardhak medicines aur nuskhon se atte pade hain. Vigyapit vastuon ka upyog karke maryadit acharan ki asha karna vaisa hi hai jaise neem ke patton ko khaakar mithas ki ummeed karna.

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  2. यदि कानून भगवद्गीता के आधार पर बनता तो आसाराम क्रिष्ण का सन्दर्भ देकर कब का बाइज्जत बरी हुआ होता|

    पर कानून को संविधान का आधार है
    इसलिये आसाराम की कृष्णलीला निराधार है|

    जयभिम !
    जय संविधान !!


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  3. यदि कानून भगवद्गीता के आधार पर बनता तो आसाराम क्रिष्ण का सन्दर्भ देकर कब का बाइज्जत बरी हुआ होता|

    पर कानून को संविधान का आधार है
    इसलिये आसाराम की कृष्णलीला निराधार है|

    जयभिम !
    जय संविधान !!


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