आम जनता के मुद्दों को भूल गई सरकार
- भंवर मेघवंशी
सूचना एवं रोजगार अधिकार अभियान से जुड़े प्रदेशभर के 18 जिलों से आए लोगों ने आज समग्र सेवा संघ, दुर्गापुरा में एक दिवसीय बैठक कर जनता के जुड़े मुद्दों पर गहरी चिंता व्यक्त की। जन संगठनों का कहना था कि सरकार के समस्त शीर्ष नेता चिंतन शिविर आयोजित कर रहे हैं वहीं दूसरी तरफ आम जनता एवं जन अधिकारों के मुद्दों में सरकार को कोई चिंता ही नहीं है। जिस यूपीए सरकार ने सूचना के अधिकार और नरेगा जैसे कानून पारित किए वही सरकार उनके क्रियान्वयन में उदासीनता बरत रही है। जनसंगठनों ने चिंता व्यक्त की है कि इसी कारण नरेगा जैसे कानून की स्थिति बिगड़ती जा रही है। नरेगा पर किया जाने वाला व्यय वर्ष 2009-10 में 5 हजार 700 करोड़ था जो घटकर 2 हजार करोड़ रह गया है। जरूरतमंद अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लाभान्वित लोगों की संख्या लगातार घटती जा रही है। केन्द्र सरकार ने तो कोर्ट की अवहेलना करते हुए न्यूनतम मजदूरी देने से भी इंकार किया और राज्य सरकार नरेगा रेट से भी कम मजदूरी देकर लोगों को नरेगा से दूर कर रही है।
नरेगा में भ्रष्टाचार के कई मामले उजागर होने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं की गई। लग रहा है कि सरकार नरेगा को खत्म करने को तुली हुई है। इसी प्रकार सूचना के अधिकार की जन्म स्थली रहे राजस्थान में भी सूचना के अधिकार का हाल बुरा है। सूचना आयोग में आयुक्त नहीं होने से सुनवाई नहीं हो रही है। आयोग भी बंद पड़ा है। इसी का नतीजा है कि सूचना आयोग में 11 हजार अपीलें लम्बित पड़ी हैं। इसी तरह वन अधिकार कानून के तहत् परम्परागत वननिवासियों को पट्टे दिए जाने का दावा भी खोखला साबित हो रहा है और सरकार इस कानून के तहत् कहीं भी सामुदायिक अधिकार नहीं दे पा रही है।
जन संगठनों ने केन्द्र की यूपीए सरकार पर भी निशाना साधते हुए कहा है कि सरकार खाद्य सुरक्षा कानून बनाने का अपना चुनावी वादा निभाने में भी विपल रही है तथा नगद हस्तांतरण जैसी योजनाओं के बहाने सार्वजनिक वितरण प्रणाली एवं अन्य अनुदानों को समाप्त करने की कोशिशें कर रही हैं। जनसंगठनों ने भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए प्रभावी लोकपाल कानून, व्हिसलब्लोअर कानून, शिकायत निवारण अधिनियम एवं न्यायिक जवाबदेही जैसे जनहित से जुड़े कानूनों को संसद में लटकाए रखने के मामले में भी केन्द्र सरकार की आलोचना करते हुए चिंता प्रकट की कि सरकार पूरी प्राकृतिक संपदा को जनता के हाथों से छीन कर कंपनियों को दे रही है। साथ ही जनता की बुनियादी सुविधाओं का हल मशीनों एवं तकनीक में खोज रही है तथा बिना कानून बनाए ही आधार जैसी परियोजना लोगों पर थोप कर सरकार नागरिकों की नीजता एवं जन समूहों की निगरानी व्यवस्था पर हमला कर रही है।
बैठक में निर्णय लिया कि इन समस्त मामलों पर आंदोलन किया जाएगा तथा राज्य एवं केन्द्र के आगामी चुनावों में इन मुद्दों को चुनावी मुद्दा बनाया जाएगा। साथ ही 2 फरवरी को नरेगा की सातवीं वर्षगांठ के अवसर पर नरेगा एवं सूचना के अधिकार के बेहाल पर एक खुला जन संवाद किया जाएगा। 4 से 8 मार्च को नई दिल्ली में 55 वर्ष की आयु के बुजुर्गों को पेंशन एवं नरेगा को बचाने के लिए एक राष्ट्रीय व्यापी आंदोलन होगा जिसमें राजस्थान से लगभग 5000 लोग जाएंगे। हर गांव में पेंशन परिषद बनाया जाएगा ताकि इस देश के 10 करोड़ बुजुर्ग लोग राजनैतिक दलों से अपनी हालत से सीधा सवाल पूछ सके। 23 से 24 मार्च को राजस्थान इलेक्शन वॅाच राष्ट्रीय इलेक्शन वॅाच (एडीआर) के साथ मिलकर चुनाव सुधार एवं चुनाव पर निगरानी का राष्ट्रीय सम्मेलन भी आयोजित कर रहा है।
बैठक में मजदूर किसान शक्ति संगठन, जन चेतना संस्थान, आस्था संस्थान, विविधा, लोकतंत्र शाला, उरमूल ज्योति, समग्र सेवा संघ, मंथन, संकल्प, सृजन, सामाजिक न्याय समिति, सूचना का अधिकार मंच, समाज कार्य एवं अनुसंधान केन्द्र से जुड़े लोगों ने अपने विचार व्यक्त किए।
आप लोगो से निवेदन है की इस समाज के अन्दर सामाजिक क्रांति पैदा करो इन्कलाब पैदा करो तभी बाबा साहेब के सपनो को पूरा किया जा सकता है
ReplyDeleteजो भरा नहीं है भावो से , बहती जिसमे रसधार नहीं !
वो दलित नहीं मनुवादी है , जिनको जय भीम से प्यार नहीं !!
Dalpat Meghwanshi Jaipur