Friday, July 13, 2012

‘गुलाबचंद’ के ‘चंद कारनामे’


फर्जीवाड़े से बटोरी अकूत संपदा!
  • भंवर मेघवंशी  

एक अपने गुलाबचंद है, बिजली महकमे में जेईएन बन गए, मांडलगढ़ के सलावटिया के रहने वाले, गांव में घर के नाम पर इन्होंने महल बनवाया है, जिसके दरवाजे की कीमत ही लाखों में है, भीलवाड़ा में शास्त्रीनगर इलाके में 50 लाख की कोठी है, शहर में और कई बेनामी संपत्तियां है, आय से अधिक ही नहीं, बहुत अधिक धन बटोरा है इन्होंने, आजकल प्रमोट होकर अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड में एईएन बन गए है।
जब भीलवाड़ा में जेईएन थे तभी सुवाणा इलाके में काफी घपले किए, खूब फर्जीवाड़ा इनसे हो पाया, गरीब काश्तकारों की इन्होंने पैसे ले-लेकर खूब सेवा की, सेवा तो आमली निवासी एक गरीब ड्राइवर की भी इन्होंने की, जो इनका किरायेदार था, उसकी पत्नि के साथ दुव्र्यवहार करने का और सरेआम जूतमपैजार का भी कीर्तिमान इनके खाते में दर्ज है, मामला पुलिस तक भी पहुंचा, वो ड्राइवर तो इतना नाराज था कि मारकाट पर ही उतारू था, मगर गली-मोहल्ले के समझदारों ने इनको बचा लिया, मगर इज्जत जाती रही।
इज्जत तो ऐसे लोगों के लिए आती-जाती ही रहती है, तिलस्वां क्षेत्र में इनके समाज का सामूहिक विवाह सम्मेलन हुआ तो उसमें ही घपला कर बैठे, दुल्हनों को संग्रामगढ़ धूणी के अध्यक्ष राजमल त्यागी द्वारा दिए गए चांदी के सिक्के ये महाशय बीच में ही डकार गए, डकारने को तो ये दुल्हनों की सोने की नथें भी डकार गए, और जब समाज ने हिसाब-किताब पूछा तो जोगणियां माता स्थित सराय पर लिखे हुए समाज के नाम पर अपने पिता व उनके गुर्गों के जरिए कालिख ही पुतवा दी, फिर बेगूं में समाज का सम्मेलन हुआ, इनको और इनके बाप को समाज बदर कर दिया गया, फिर भी नहीं सुधरे, जिला प्रमुख के खासमखास जो ठहरे...।
अब ‘राजस्थान पत्रिका’ में इनका नया कारनामा उजागर हुआ है कि इन्होंने अपने आका एक निर्दलीय विधायक के कहने पर जहां न आबादी है और ना ही गांव, वहां पर गांव बताकर सामुदायिक भवन में बिजली कनेक्शन पहुंचा दिया, जबकि वहां पर एक होटल जरूर है, कोई सामुदायिक भवन नहीं है, उक्त निर्दलीय विधायक का कहना है कि- ‘अभिशंषा गांव के नाम से की गई है, मौके पर विद्युत पोल लगे है। सामुदायिक भवन व ट्यूबवैल भी है।’
जिसे विधायक गांव बता रहे है उसे ग्राम पंचायत सथाणा व नायब तहसीलदार विजयनगर ने किस्म पहाड़ा (सिवाय चक) बताया, यहां पर एक पुराना देवनारायण मंदिर है, जिसे लोग साईमाला के नाम से पुकारते है लेकिन यह स्थान गैर आबाद है तथा यहां कोई मकान व आबादी नहीं है। साईमाला में आज तक सामुदायिक भवन निर्माण की स्वीकृति भी किसी ने नहीं दी है फिर भी अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के एईएन गुलाबचंद ने नियम-शर्तों का उल्लंघन करते हुए जनवरी 2012 को बिना  जॉब  ऑर्डर निकाले ही कार्य पूरा करवा दिया जबकि जिला परिषद से कार्य की वित्तीय स्वीकृति 27 मार्च 2012 को जारी हुई और राशि का आवंटन पत्र 31 मार्च 2012 को निगम को मिला।
एईएन संसदीय सचिव की चमचागिरी में इतने रम गए कि बिना कार्य स्वीकृति, बिना वित्तीय स्वीकृति के ही 27 जनवरी को गेट  पास बुक नंबर 11/48 के जरिए साईमाला के नाम पर सामान जारी करवा दिया और लाइन खींचवा कर कनेक्शन भी जारी कर दिया। पत्रकार भूपेंद्र सिंह के मुताबिक इस फर्जीवाड़े में एईएन गुलाबचंद ने विधायक कोष के दुरुपयोग के साथ ही अजमेर डिस्कॉम को भी लाखों रुपए का नुकसान पहुंचाया है क्योंकि उसी ने ग्राम साईमाला में सामुदायिक भवन के विद्युतीकरण के गलत व फर्जी साइट मैप एवं तकमीने बनाकर उन्हें सीईओ जिला परिषद को भिजवाए।
एईएन गुलाबचंद द्वारा किए गए इस घोटाले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अजमेर (ग्रामीण) के अधीक्षण अभियंता आर.के. शर्मा ने बताया कि मामला गड़बड़ है, जांच हो रही है, दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। वहीं दूसरी ओर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में एईएन गुलाबचंद के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति इकट्ठा करने की लिखित शिकायत की गई है।

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