- भंवर मेघवंशी
. . .पर इसका मतलब यह तो नहीं कि आप किसी को मूत्र पीने को बाध्य कर सके। माना कि आप शिवाम्बू (स्वयं का मूत्र) लेते थे। स्वामी अग्निवेश का शांति निकेतन की हॉस्टल वार्डन उमा पोद्दार के पक्ष में इस बेशर्मी से खड़े होना निहायत ही वाहियात हरकत मानी जा सकती है। स्वामी जी, आप बिग बॉस में जाओ वहां लड़कों को घूरो, जमाते इस्लामी हिंद की गोद में बैठकर हिंदू संगठनों को गाली दो, यह आपका विशेषाधिकार है मगर किसी को पेशाब पीने पर तो मजबूर मत करो।
कभी टीम अन्ना का हिस्सा रहे सुप्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश ने कहा कि बंगाल में विश्वभारती हॉस्टल में बिस्तर गीला करने पर बच्ची को वार्डन उम्मा पोद्दार के पेशाब पीने की सलाह देने पर इतना हो-हल्ला मचाने की क्या जरूरत है? उन्होंने कहा कि इसमें कुछ भी गलत नहीं है, यह पारंपरिक चिकित्सा पद्धति है।
स्वामीजी ने कहा कि वे खुद भी बिस्तर गीला करते थे, बाद में अपना मूत पीने से वे ठीक हो गए, आपातकाल के दौरान भी वे अंबाला जेल में यह प्रयोग करते थे। भाई स्वामीजी, आप यह करते थे, यहां तक तो ठीक है पर किसी और को यही करना होगा, ऐसा कहना कहां तक ठीक है? आप जैसे सामाजिक कार्यकर्ता से मूत्र की तरफदारी की उम्मीद नहीं की जा सकती है।
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